डॉ. मनमोहन सिंह 14. 08.2011
प्रधानमंत्री
भारत सरकार
नई दिल्ली
प्रिय डॉ. मनमोहन सिंह जी!
मुझे यह पत्र आपको बेहद अफसोस के साथ लिखना पड़ रहा है। मैंने 18 जुलाई 2011 को लिखे एक पत्र में आपको कहा था कि अगर सरकार संसद में एक सख्त लोकपाल बिल लाने का अपना वादा पूरा नहीं करती है तो मैं 16 अगस्त से फिर से अनिश्चिकालीन उपवास शुरू करूंगा। मैंने कहा था कि इस बार हमारा अनशन तब तक जारी रहेगा जब तक 'जनलोकपाल बिल' के तमाम प्रावधान डालकर एक सख्त और स्वतंत्र लोकपाल बिल संसद में नहीं लाया जाता।
जंतर मंतर पर अनशन करने के लिए, हमने 15 जुलाई 2011 को पत्र लिखकर आपकी सरकार से अनुमति मांगी थी। उस दिन से लेकर आज तक हमारे साथी दिल्ली पुलिस के अलग-अलग थानों, दिल्ली नगर निगम, एनडीएमसी, सीपीडब्ल्यू डी, और शहरी विकास मंत्रालय के लगभग हर रोज चक्कर काट रहे हैं।
अब हमें बताया गया है कि हमें केवल तीन दिन के लिए उपवास की अनुमति दी जा सकती है। मुझे समझ में नहीं आता कि लोकशाही में अपनी बात कहने के लिए इस तरह की पाबन्दी क्यों? किस कानून के तहत आप इस तरह की पाबन्दी लगा सकते हैं? इस तरह की पाबन्दी लगाना संविधान के खिलाफ हैं और उच्चतम न्यायालय के तमाम निर्देशों की अवमानना हैं। जब हम कह रहे हैं कि हम अहिंसापूर्वक, शांतिपूर्वक अनशन करेंगे, किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे तो यह तानाशाही भरा रवैया क्यों? देश में आपातकाल जैसे हालात बनाने की कोशिश क्यों की जा रही है?
संविधान में साफ-साफ लिखा है कि शांतिपूर्वक इकट्ठा होकर, बिना हथियार के विरोध प्रदर्शन करना हमारा मौलिक अधिकार है। क्या आप और आपकी सरकार हमारे मौलिक अधिकारों का हनन नहीं कर रहे? जिन अधिकारों और आज़ादी के लिए हमारे क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों ने कुर्बानी दी, स्वतंत्रता दिवस के दिन पहले क्या आप उसी आज़ादी को हमसे नहीं छीन रहे हैं? मैं सोच रहा हूं कि 65 वें स्वतंत्रता दिवस पर आप क्या मुंह लेकर लाल किले पर ध्वज फहराएंगे?
पहले हमें जंतर मंतर की इजाज़त यह कहकर नहीं दी गई कि हम पूरी जंतर मंतर रोड को घेर लेंगे और बाकी लोगों को प्रदर्शन करने की जगह नहीं मिलेगी। यह सरासर गलत है क्योंकि पिछली बार हमने जंतर मंतर रोड का केवल कुछ हिस्सा इस्तेमाल किया था। फिर भी हमने आपकी बात मानी, और चार नई जगहों का सुझाव दिया- राजघाट, वोट क्लब, रामलीला मैदान और शही पार्क। रामलीला मैदान के लिए तो हमें दिल्ली नगर निगम से भी अनुमति मिल गई थी लेकिन आपकी पुलिस ने इस मुद्दे पर कई दिन भटकाने के बाद चारों जगहों के लिए मना कर दिया।
मना करने के पीछे एक भी जगह के लिए कोई वाजिब कारण नहीं था। सिर्फ मनमानी भरा रवैया था। हमने कहा आप दिल्ली के बीच कोई भी ऐसा स्थान दे दीजिए जो मेट्रो और बसों से जुड़ा हो, अंततः हमें जेपी। पार्क दिखाया गया, जो हमने मंजूर कर लिया। अब आपकी पुलिस कहती है कि यह भी केवल तीन दिन के लिए दिया जा सकता है। क्यों? इसका भी कोई कारण नहीं बताया जा रहा। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेशों में साफ-साफ कहा है कि सरकार मनमाने तरीके से लोगों के इस मौलिक अधिकार का हनन नहीं कर सकती।
क्या इन सबसे तानासाही की गंध नहीं आती? संविधान के परखच्चे उड़ाकर, जनतंत्र की हत्या कर, जनता के मौलिक अधिकारों को रौंदना क्या आपको शोभा देता है?
लोग कहते हैं कि आपकी सरकार आज़ादी के बाद की सबसे भ्रष्ट सरकार है। हालांकि मेरा मानना है कि हर अगली सरकार पिछली सरकार से ज्यादा भ्रष्ट होती है। लेकिन भ्रश्टाचार के खिलाफ़ आवाज़ उठाने वालो को कुचलना, यह आपके समय में कुछ ज्यादा ही हो रहा है। स्वामी रामदेव के समर्थकों की सोते हुए आधी रात में पिटाई, पुणे के किसानों पर गोलीबारी जैसे कितने ही उदाहरण हैं जो आपकी सरकार के इस चरित्र का नमूना पेश करते हैं। यह बहुत चिंता का विषय है।
हम आपको संविधान की आहूति नहीं देने देंगे। हम आपको जनतंत्र का गला नहीं घोंटने देंगे। यह हमारा भारत है। इस देश के लोगों का भारत। आपकी सरकार तो आज है, कल हो न हो।
बड़े खेद की बात है कि आपके इन ग़लत कामों की वजह से ही अमेरिका के हमारे लोकतंत्र के आंतरिक मामलों में दखल देने की हिम्मत हुई। भारत अपने जनतांत्रिक मूल्यों की वजह से जाना जाता रहा है। लेकिन अंतराष्ट्रीय स्तर पर आज उन मूल्यों को ठेस पहुंची है। यह बहुत ही दुख की बात है।
मैं यह पत्र इस उम्मीद से आपको लिख रहा हूं कि आप हमारे मौलिक अधिकारों की रक्षा करेंगे। क्या भारत का प्रधानमंत्री दिल्ली के बीच अनशन के लिए हमें कोई जगह दिला सकता है? आज यह सवाल मैं आपके सामने खड़ा करता हूं।
आपकी उम्र 79 साल है। देश के सर्वोच्च पद पर आप आसीन हैं। जिंदगी ने आपको सब कुछ दिया। अब आपको जिंदगी से और क्या चाहिए। हिम्मत कीजिए और कुछ ठोस कदम उठाइए।
मैं और मेरे साथी, देश के लिए अपना जीवन कुर्बान करने के लिए तैयार हैं। 16 अगस्त से अनशन तो होगा। लाखों लोग देश भर में सड़कों पर उतरेंगे। यदि हमारे लोकतंत्र का मुखिया भी अनशन के लिए कोई स्थान देने में असमर्थ रहता है तो हम गिरफ्तारी देंगे और अनशन जेल में होगा।
संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करना आपका परम कर्तव्य है। मुझे उम्मीद है कि आप मौके की नज़ाकत को समझेंगे और तुरंत कुछ करेंगे।
भवदीय,
अन्ना हज़ारे
अन्ना हज़ारे
साम्राज्यवादी अमेरिकी एजेंट अन्ना की तानाशाही का इससे बड़ा नमूना और क्या हो सकता है कि,वह उनकी बात न मानने पर अनशन की धम्की देते हैं और अमेरिका की प्रशंसा करते हैं।
ReplyDeleteवस्तुतः मनमोहन-अन्ना एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जनता को दोनों गुमराह कर रहे हैं।
आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 15-08-2011 को चर्चा मंच http://charchamanch.blogspot.com/ पर भी होगी। सूचनार्थ
ReplyDeleteस्वाधीनता दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएं।
ReplyDeleteस्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और ढेर सारी बधाईयां
ReplyDelete16 अगस्त को सम्पूर्ण दिल्ली में धारा 144 लगा दी जाएगी और आंदोलन को पूरी तरह से कुचल दिया जाएगा। जनता क्या कर पाती है, अब यह देखना है।
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति के साथ शानदार प्रस्तुती!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
चन्द्र भूषन मिश्र जी,
ReplyDeleteविजय माथुर जी,
अजित गुप्ता जी ,
बबली जी
आप सब शुभचिंतकों का आभार तथा स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
भारतीय जादुई छड़ी गायब है ! स्वतंत्रता दिवस की बधाई !
ReplyDeleteअन्ना के पत्र से saaf है की उन्होंने कोइ आडिय रूख नहीं अपनाया है. अनशन करना dhamki नहीं हक़ है.अमेरिका की कोइ प्रशंसा बी नहीं किया .balki अमेरिका के गैर वाजिब हस्ताक्चेप पर दुःख ही प्रगट किया .. क्या भ्रष्टाचार का विरोध करना अड़ियल पन है?
ReplyDeleteसरकार अगर सुन लेती तो ...न आन्दोलन होता और न पत्र लिखा जाता!
ReplyDelete--
स्वतन्त्रता दिवस के पावन अवसर पर बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ।
काश!!! शासन इस पर विचार करे...
ReplyDeleteआम जन की भावनाओं को शासन समझे और भ्रष्टाचार जिसने जन जन का जीना मुहाल कर दिया है को ख़त्म करने के लिए सख्त कदम उठाये, यही शाशन का कर्तव्य है... शाशन अपना कर्तव्य निभाने लगे तो, जैसा की शासन के मंत्री गन कहते रहे हैं की जनता के अधिकार के साथ कुछ कर्तव्य भी होते हैं, जनता स्वतः अपने कर्तव्यों की और अग्रसर हो जायेगी...आज जनता को सर्वप्रथम स्वतन्त्रता चाहिए... भ्रष्टाचार और अराजकता से...
आपको राष्ट्र पर्व की सादर बधाईयाँ. जयहिंद...
आदरणीय श्री एस.एन.शुक्ल जी
ReplyDeleteसर आपको सलाम दिल से
आपका शुक्रिया अदा करने के लिए आपने इतनी प्यारी रचना लिखी है! आप को भारतीय स्वाधीनता दिवस पर्व की हार्दिक शुभ कामनाये और ढेर सारी बधाइयाँ आपका सोनू
Shukla Saahab.. Aapki sam-saamyik rachna bahut hi acchhi aur vicharneeya hai... Aapki soch ko salaam.. Swantrata Diwas ki Hardik Badhai..
ReplyDeleteAap humare blog par aaye, mera haunsala badhaya... Dhanyawaad..
एक छोटी सी शुरुआत चाहिए.
ReplyDeleteकुछ बुँदे तो बरसे, गर बरसात चाहिए.
- - http://goo.gl/iJEI5
Shameful on part of the Govt.
ReplyDeleteसरकार को शर्म नहीं आती क्या करें ...
ReplyDeletesaamyik-sarthak prastuti...
ReplyDeleteआप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ..
आइये हम सब भ्रष्टाचार मुक्त भारत निर्माण के लिए-- सम्माननीय अन्ना हजारे जी के नेतृत्व में-- जन लोकपाल बिल बनाने के लिए--संवेदनहीन एवं तानाशाह सरकार के विरुद्ध जारी देशव्यापी जन आन्दोलन को अपना पूर्ण समर्थन देकर इसे सफल बनाएँ.....
अगर आपको प्रेमचन्द की कहानिया पसंद हैं तो आपका मेरे ब्लॉग पर स्वागत है |
ReplyDeletehttp://premchand-sahitya.blogspot.com/
क्या कहें, अगर अन्ना की बात मान ली जाये तो संसद के ऊपर एक तानाशाह बैठ जायेगा और ये होगा एक लोकतंत्र का धीमा अंत,
ReplyDeleteअरे भाई ठीक से वोट दो तो किसी अन्ना की जरुरत ही नहीं है,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
यह जन्माष्टमी देश के लिए और आपको शुभ हो !
ReplyDeleteGood post .Thanks for sharing .
ReplyDeleteसटीक बात, सार्थक अंदाज।
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लो जी, मैं तो डॉक्टर बन गया..
क्या साहित्यकार आउट ऑफ डेट हो गये हैं ?
सटीक लिखा आपने .....
ReplyDeleteVijai Mathur जी --- ध्यान से पढ़ें ---अन्ना के पत्र से साफ़ तो है कि उन्होंने कोइ अड़ियल रूख नहीं अपनाया है. अनशन करना धमकी नहीं हक़ है.अमेरिका की कोइ प्रशंसा भी नहीं की अपितु अमेरिका के गैर वाजिब हस्तक्षेप का कारण पर दुःख ही प्रगट किया है ----सुंदर पोस्ट व विचारों के लिए बधाई
ReplyDeleteEk garimamai patra prastuti ke liye abhar.
ReplyDeletejai hind !
ReplyDeletesateek post aur anna ji ka har swal sahi hai jayaz hai .... sarkar se ...........
ReplyDeletepradhaanmantri majboor hain , reham ki iltija hai...
ReplyDeleteमहत्वपूर्ण पोस्ट. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteयह चिट्ठी भी अब इतिहास बन गई है.
ReplyDeleteप्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
शुक्ला जी नमस्कार। आपका पत्र बहुत ही सारगर्भित है मुझे थोड़ा देर से पढ्ने को मिला। जयहिन्द ।
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