प्रिय महोदय/महोदया,
और साथ में
जर्नलिस्ट्स, मीडिया एण्ड रायटर्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा पूर्व में प्रकाशित स्मारिका "श्रम साधना" की अपार लोकप्रियता के बाद हम "स्वाधीनता के 65 वर्ष और भारतीय संसद के 6 दशक" की गति-प्रगति, उत्कर्ष-पराभव, गुण-दोष, लाभ-हानि, समस्याओं तथा सुधारात्मक उपायों पर आधारित सम्पूर्ण विवेचन-विश्लेषण को
"समसामयिक दस्तावेज़"
के रूप में प्रकाशित करने जा रहे हैं। प्रष्ठों की संख्या 1000 से भी अधिक होने की संभावना है और आकार ए-4 साइज (11गुणे 8 इंच)
"समसामयिक दस्तावेज़" में समाहित विषय सामग्री :-
प्रथम खण्ड
.भारत एक दृष्टि में,महत्वपूर्ण तथ्य, भारत का राजनैतिक स्वरूप, जनगणना के आंकड़े, राज्य, कृषि ,
खनिज, उद्यम , परिवहन, प्राचीन इतिहास, प्राचीन भारत, मध्यकालीन भारत,
युरॊपियों का भारत में प्रवेश और आधिपत्य स्थापन,
द्वितीय खण्ड
विद्रोह और उनके नायक,
प्रमुख धार्मिक, सामाजिक और जनजातीय आन्दोलन, स्वाधीनता आन्दोलन, मुक्ति
संघर्ष की प्रमुख घटनाएँ, राष्ट्र विभाजन की पीड़ा, लोकतंत्र की स्थापना,
गांधीजी की हत्या, गणतंत्र बना भारत, अपना संविधान, भारत के राष्ट्रपति ,
प्रधानमंत्री, उप प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, लोकसभा अध्यक्ष, मुख्या
न्याधीश और उनके कार्यकाल।
तृतीय खंड
.जिनके कुशल नेतृत्व में की ओर बढ़ा भारत, समाजसेवा और सामाजिक चेतना के नायक, ज्ञान के वाहक, दुश्मनों के बार-बार
के आक्रमण, अन्न संकट का दौर, पाकिस्तान का विभाजन और बंगलादेश का उदय,
जनरल मानेक शा , जब इंदिरा गांधी दुर्गा का प्रतिमान बनीं, संजय गांधी का
राजनैतिक क्षितिज पर उदय, अलगाववादी आन्दोलन,जयप्रकाश आन्दोलन, आपातकाल , केंद्र में प्रथम
गैर कांग्रेसी सरकार, जनता पार्टी का बिखराव, केंद्र में पुनः कांग्रेस की
वापसी, खालसा आंदोलन और आपरेशन ब्लू स्टार, इंदिराजी की ह्त्या और सिख
विरोधी दंगे, युवा प्रधानमंत्री राजिव,लिट्टे और उसका तांडव, दलित चेतना के महानायक कांशीराम,
किसानों के अगुआ महेंद्र सिंह टिकैत,वी पी सिंह का कार्यकाल,
चतुर्थ खण्ड
राम मंदिर आन्दोलन की उग्रता,
साम्प्रदायिक तनाव का दौर, बाबरी ध्वंश और उसके बाद की राष्ट्रीय पीड़ा, पी
वी नरसिंह राव, निर्वाचन आयोग की सक्रियता, गोधरा और गुजरात दंगें, आतंकी
घटनाओं से जूझता देश, सियासत का चारित्रिक पतन, धरमनिर्पेक्षता बनाम
साम्प्रदायिकता, सामाजिक सरोकारों के योद्धा राजनीति में क्षत्रपों का उदय,
विदेशी बैंकों में जमा स्वदेशी कालाधन, पॊञ्जिवादिओन के गुलाम मीडिया
समूह, चारण और भाटों की भूमिका में कारपोरेट मीडिया, जनाक्रोश, न्याय
व्यवस्था की दुरिह्ताएं, अव्यवस्थित पंचायतीराज व्यवस्था, सता और पूंजी का
घालमेल, क्षेत्रीयता की संकुचित राजनीति , नापाक सियासी गठजोड़, स्वाधीन
भारत कीमहत्वपूर्ण उपलब्धियां,जिन्होंने फहराई भारत की यश पताका , उम्मीद भरे नेतृत्वकर्ता।
पांचवां खण्ड
.ज्वलंत मुद्दे :-मूल अधिकारों से वंचित आम आदमी, साम्प्रदायिकता और जातीयता, अनवरत
भ्रष्टाचार, वैश्विक बिरादरी में भारत की गिरती साख, दोषपूर्ण न्याय
व्यवस्था, राजनीति का अपराधीकरण , कुनबों की गिरफ्त में सियासत, लोकतंत्र
बनाम लूटतंत्र, योजनागत लाभों का असंगत वितरण, असमान और महंगी शिक्षा,
प्रतिभा और योग्यता की उपेक्षा, अमानवीय पुलिसतंत्र, असहाय न्याय व्यवस्था,
आरक्षण की दोषपूर्ण व्यवस्था, नैतिकता ताख पर, उपेक्षित अन्नदाता, अपसंस्कृति के मकड़जाल में युवा, शिक्षित बेरोजगारों की बढ़ती जमात, सेवक
नहीं शासक की भूमिका में नौकरशाही, घटती बेटियाँ, उपेक्षित आधी आबादी,
उच्च और तकनीकी शिक्षा का व्यवसायीकरण, उपेक्षित गाँव, असंवैधानिक जनप्रतिनिधित्व, अपात्रों के हवाले योजनाओं का लाभ, शिक्षा के मंदिरों में
सियासी अखाड़े,
और साथ में
pahli baar aap ke blog par aaya ,acha blog hai
ReplyDeletelajawab-***
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